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|रचनाकार=रमानाथ अवस्थी
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जिसे नहीं कुछ चाहिए, वही बड़ा धनवान।धनवान ।लेकिन धन से भी बड़ा, दुनिया में इन्सान।इन्सान ।
चारों तरफ़ मची यहाँ भारी रेलमपेल।रेलमपेल ।चोर उचक्के खुश ख़ुश बहुत, सज्जन काटें जेल।जेल ।
मतलब की सब दोस्ती देख लिया सौ बार।बार ।काम बनाकर हो गया, जिगरी दोस्त फ़रार।फ़रार ।
तेरे करने से नहीं, होगा बेड़ा पार।पार ।करने वाला तो यहाँ, हैं केवल करतार।करतार ।
कर सकते हो तो करो, आत्मा से अनुराग।अनुराग ।यही सीख देता हमें, गौतम का गृह-त्याग।त्याग ।
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