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दुश्मन को भी गले लगा कर ख़ुश हो लेता हूँ / कुमार अनिल
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16:08, 30 नवम्बर 2010
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|रचनाकार=कुमार अनिल
हर आँगन में दीप जला कर ख़ुश हो लेता हूँ
रस
रास
नहीं आता जब मुझको साथ सयानो का
बच्चों की दुनिया में आकर ख़ुश हो लेता हूँ
अनिल जनविजय
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