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विहंगम-मधुर स्वर तेरे,<br>
मदिर हर तार है मेरा!<br><br> 
रही लय रूप छलकाती<br>
चली सुधि रंग ढुलकाती<br>
तुझे पथ स्वर्ण रेखा, चित्रमय<br>
संचार है मेरा!<br><br> 
तुझे पा बज उठे कण-कण <br>
मुझे छू लासमय क्षण-क्षण!<br>
किरण तेरा मिलन, झंकार-<br>
सा अभिसार है मेरा!<br><br> 
धरा से व्योम का अन्तर,<br>
रहे हम स्पन्दनों से भर,<br>
निकट तृण नीड़ तेरा, धूलि का<br>
आगारा है मेरा!<br><br> 
न कलरव मूल्य तू लेता,<br>
ह्रदय साँसे लुटा देता,<br>
सजा तू लहर-सा खग,<br>
दीप-सा श्रृंगार है मेरा।<br><br> 
चुने तूने विरल तिनके<br>
गिने मैंने तरल मनके,<br>
तुझे व्यवसाय गति है,<br>
प्राण का व्यापार है मेरा!<br><br> 
गगन का तू अमर किन्नर,<br>
धरा का अजर गायक उर,<br>
मुखर है शून्य तुझसे लय भरा<br>
यह क्षार है मेरा।<br><br> 
उड़ा तू छंद बरसाता,<br>
चला मन स्वप्न बिखराता,<br>
अमिट छवि की परिधि तेरी,<br>
अचल रस-पार है मेरा!<br><br> 
बिछी नभ में कथा झीनी,<br>
घुली भू में व्यथा भीनी,<br>
तड़ित उपहार तेरा, बादलों-<br>
सा प्यार है मेरा!<br><br>