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दीपक जलाना एक बार / बुलाकी दास बावरा
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16:19, 1 दिसम्बर 2010
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<Poem>
प्रिय ! मिलन की राह में, दीपक जलाना एक बार ।
चाँद घन घूंघट उठा कर, झांक लेना एक बार ।।
अनिल जनविजय
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