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अंधे / केदारनाथ अग्रवाल
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17:08, 7 दिसम्बर 2010
क्योंकि
आप
बार-बार
गढे
गढ़े
में गिरते हैं
समय के सूरज से
आँख मूँदे रहते हैं
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