दिशाभ्रम / गुलशन मधुर

कैसा कैसा होता है कभी-कभी मन
पथभूले पांव
आ पहुंचे हों जैसे
किसी अनजाने गांव
या फिर
पूरी होने की चाह में
कोई अधूरी कविता
मुड़ गई हो
ग़लत शब्दों की गली में

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.