शक्ति का उत्पात / अज्ञेय

क्रांति है आवर्त, होगी भूल उसको मानना धारा:
विप्लव निज में नहीं उद्दिष्ट हो सकता हमारा।
जो नहीं उपयोज्य, वह गति शक्ति का उत्पात भर है:
स्वर्ग की हो-माँगती भागीरथी भी है किनारा।

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.