...संतानें हत‌‍भागी / अंशु मालवीय

जब से भूख तुम्हारी जागी
धरती बिकी
बिकी धरती की संतानें हत‌भागी
पांड़े कौन कुमति तोहे लागी !

धरती के भीतर का लोहा
काढ़ा, हमने तार खिंचाए
तार पे फटी दिहाड़ी लटकी
बिजली की विरुदावलि गाए
जब से भूख तुम्हारी जागी
लोहा बिका
बिकी लोहे की संतानें हतभागी !
पांड़े कौन कुमति तोहे लागी !

धरती के भीतर का पानी
खींचा हमने खेत सधाए
पानी बंधुआ बोतल में
साँस नमी की घुटती जाए
जब से भूख तुम्हारी जागी
पानी बिका
बिकी पानी की संतानें हतभागी
पांड़े कौन कुमति तोहे लागी !

धरती के भीतर का कोयला
खोदा और फ़र्नेस दहकाए
चिमनी ऊपर बैठ के कोयल
कटे हाथ के असगुन गाए
जब्से भूख तुम्हारी जागी
कोयला बिका
बिकी कोयले की संतानें हतभागी
पांड़े कौन कुमति तोहे लागी !

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.