Last modified on 11 अक्टूबर 2011, at 16:10

विश्राम / मधुप मोहता


एक पीढ़ी बुझ चुकी है
एक पीढ़ी जल रही है।
एक पीढ़ी और भी है
गर्भ में जो पल रही है।

इन अनेको पीढ़ीयों को
कौन सा आयाम दोगे।
कब इन्हें निर्वाण दोगे
कब मुझे विश्राम दोगे।

(अटल बिहारी वाजपेयी के लिए)