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विश्वास / नवनीत पाण्डे

नहीं नाप सकता
आसमान किसी पैमाने से
नहीं भर सकता
समंदर किसी बर्तन में
नहीं कर सकता बंद
हवा किसी थैले में
नहीं उठा सकता
धरती अपने कांधे पर
नहीं छुपा सकता
आग किसी डिबिया में
फ़िर भी
मुझे है विश्वास
तुम लो परीक्षा
मैं हो जाऊंगा पास