कई मंज़िला भवन के भीतर
एक साफ़ बड़े कमरे में
हीटर सेंकते लिख रहे होंगे आप
भूख के बारे में
जबकि आप बदहज़मी का शिकार हैं
आप कल्पना करतें हैं एक झोंपडी
उसमें पति-पत्नी और
पाँच-छह बच्चों की
जिनके पास खाने को कुछ नहीं
उसी समय आपके किचन में
बजती है प्रेशर-कूकर की सीटी
देहरादून की भीनी खुशबू
आपका ख़याल तहस-नहस कर देती है
आप कमरे से बहार बालकनी में आ जाते हैं
और दूर-दूर तक नज़र आते हैं ऊँचे भवन
कहीं कोई भूखा नहीं दिखाई देता
वापिस अपने टेबल पर आकर
फाड़ देते हैं कविता का काग़ज़
अब आप एक नया विषय सोच रहे हैं
शायद यह कि बदहज़मी कैसे दूर हो।