उसने पाताल से निकलकर
लिखी एक कविता...
विजय पा ली
अपने गिरते आत्म विश्वाश पर..
शून्यता से दूर
गगन में तारों के साथ
खेलने लगी...
उसने एक कविता लिख दी
संसार रच डाला...
उसने पाताल से निकलकर
लिखी एक कविता...
विजय पा ली
अपने गिरते आत्म विश्वाश पर..
शून्यता से दूर
गगन में तारों के साथ
खेलने लगी...
उसने एक कविता लिख दी
संसार रच डाला...