हुआ इज़हारे-इश्क बारहा ख़यालों में,
मिलें जब भी, रहे दम-ब-खुद ज़ुबान मेरी!
(इज़हारे-इश्क - इश्क का इज़हार; बारहा - अक्सर; दम-ब-खुद - चुप)
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मुझको रह-रह के वही याद मुलाक़ात आए,
तू सामने नहीं, पर लुत्फ़े-मुलाक़ात आए!
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शबे-विसाल है, आने दो दमे-आख़िर भी,
वो आ चुके, मुराद कोई नातमाम नहीं!
(शबे-विसाल - मिलन की रात; दमे-आख़िर - आखिरी सांस; मुराद - तमन्ना; नातमाम - जो पूरी न हो)
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(विसाले-सनम - दिलबर से मुलाक़ात)