कौन छीन ले गया हँसी फूलों की ?
कौन दे गया अरे, फ़सल शूलों की ?
कौन आह! फिर-फिर कलपाता, निर्दय
याद दिला कर, चिर-विस्मृत भूलों की ?
कौन दे गया अरे, फ़सल शूलों की ?
कौन आह! फिर-फिर कलपाता, निर्दय
याद दिला कर, चिर-विस्मृत भूलों की ?