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वीरों का बलिदान / बाबा बैद्यनाथ झा

भारत की रक्षा करने में, जो दे अपनी जान।
स्वर्णाक्षर में अंकित होता, वीरों का बलिदान॥

टिका हुआ है जिसके दम पर, अपना भारत देश,
नहीं कभी आने है देता, थोड़ा-सा भी क्लेश।
चौकस रहता है सीमा पर, जो सैनिक दिनरात,
सहता रहता है ऋतुओं का, सालों भर आघात।

जिस पर गर्वित रहता हरदम, पूरा हिन्दुस्तान।
स्वर्णाक्षर में अंकित होता, वीरों का बलिदान॥

रह सतर्क करते दुश्मन का, सैनिक काम तमाम,
इधर चैन से रहते हैं हम, करते हैं आराम।
निभा रहे दायित्व सिपाही, सीमा पर तैनात,
जो भी भिड़ता इनसे उसको, देते हैं ये मात।

सदा गोलियाँ खाने को ये, रहते सीना तान।
स्वर्णाक्षर में अंकित होता, वीरों का बलिदान॥

छद्मवेश में आकर दुश्मन, करता रहता वार,
गौरवशाली सैनिक उसको, हरदम देते मार।
मिले सुअवसर तो मैं कर दूँ, जीवन का उत्सर्ग,
जीतूँगा तो देश मिलेगा, मर जाने पर स्वर्ग।

मातृभूमि भारत पर मुझको, हरदम रहती शान।
स्वर्णाक्षर में अंकित होता, वीरों का बलिदान॥