अकेला ही खड़ा था मैं
एक हौसला लिए
मजबूती से अपनी जड़ से जुड़ा
हवाओं का सामना करता
झुकता सहमता
मगर रहा अटल
अब विशाल वृक्ष हूँ
जो कभी पौध कहलाता था।
अकेला ही खड़ा था मैं
एक हौसला लिए
मजबूती से अपनी जड़ से जुड़ा
हवाओं का सामना करता
झुकता सहमता
मगर रहा अटल
अब विशाल वृक्ष हूँ
जो कभी पौध कहलाता था।