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वृत्त वाला खेत / केशव मोहन पाण्डेय

सबसे उपजाऊँ
सबसे सयगर
टोला के उत्तर
गंडक के कछार में
दूर-दूर ले विस्तारित बा
वृत्त वाला खेत के
चैकस
लहलहात स्वरुप।
सभे मन से जुट जाला
एके जोते, कोड़े, बोये में
एकर विस्तार
कबो मनई विहीन ना रहेला
केहू ना केहू
कवनो ना कवनो
डँड़ार के बीचे
लउकीए जाला
कुछु सोहत
कुछु बोअत
असरा के चादर ओढले
उम्मीद के खुर्पी से
भय के मोथा।
ई वृत्त वाला खेत
भर देला घर
अन्न से
आ अन्न भरला पर
धनों भर जाला
सबका घर के
कइगो पीड़ा हर जाला।
बेटी के बियाह से ले के
लइका के पढ़ाई ले
ई वृत्त वाला खेत
के कारने
हो जाला सगरो व्यवस्था
तैयार हो जाले साहूकार
छन्ने भर में
पइसा देबे खातिर
ई वृत्त वाला खेत के
रेहन राखि के।
बाकिर एक बेर
मेटा गइल
नामो-निशान
जब भइल कटान
तब वृत्त वाला खेत
गंडक के पेट में समा गइल
सचहूँ,
सभे गमा गइल।