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वेदना / कालीकान्त झा ‘बूच’

बैसलि छी सिनेहक पथार लऽ कऽ
पिया चलि गेलहुँ कतऽ पहाड़ दऽ कऽ
दरिसनक आश बनल कलुष सपना
पूजाक दीप भेल नोरक नपना
अहाँ आबू सजल चन्द्रहार लऽ कऽ...
उदरि महक चुलि बुलि तात बिनु शान्त
निशबद भुवनमे छोड़ि कतऽ गेलहुँ कान्त?
सेहन्तित छी लोढ़ि सिङगरहार लऽ कऽ...
सासुक मधुर गप्प झड़काबै गात
कएलक अकच्छ तरुण पुरबा बसात
स्वाती अएलनि रसवन्ती धार लऽ कऽ...
सिहकल सरस पूस देह ठिठुरल
परिमल सिनेहक आश माघो बीतल
आबि गेल फागुन फुहार लऽ कऽ...