वेदना
(प्रेम का मार्मिक चित्रण)
क्षमा न कर सकते क्या
तुम मेरे पापों केा?
लौटा आज न सकते क्या
अपने शापों केा?
पड़ा हुआ हूं घोर नरक में
मैं पशु बनकर
विकट अग्नि से जलता है
धू-धू उर अंतर।
दूर न कर सकते क्या
तुम मेरे तापों को?
लौटा आज न सकते
क्या अपने शापों का?े
(वेदना कविता का अंश)