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वे सफेद हाथ / नरेश अग्रवाल

जाता था जब भी मैं
मिट्टी से खेलने
हाथ पकडक़र मॉं
ले जाती थी भीतर
हाथों में मिट्टी
चेहरे पर झुँझलाहट
सब कुछ बह जाता
पानी के साथ-साथ
वे सफेद हाथ
कितने गन्दे लगते थे मुझे ।