मेरा नाम वैभव भारतीय है। मैं अयोध्या, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मेरी औपचारिक शिक्षा-दीक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, BHU और हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई है। मनोविज्ञान और साहित्य में परास्नातक हूँ और वर्तमान में पूर्वोत्तर भारत पर PhD कर रहा हूँ। समकालीन विषयों रचनात्मक तरीक़े से कहे जाने वाले कहन में मेरी विशेष रुचि है। मेरी कविता संग्रह 'स्याह रातों के क़िस्से' हिमालय की अंधेरी, काली और ठंडी रातों में लिखे गये वह क़िस्से हैं जब लेखनी सही-ग़लत, अच्छा-बुरा, पॉजिटिव-नेगटिव की बाइनरी से ऊपर उठकर, कुछ भी मिलावटी लिखने से इंकार कर देती है। जब वह सिर्फ़ ठेठ और ईमानदार अनुभवों की गवाही उगलती है। जब चीड़ और देवदार के पेड़ से छनकर मेरे कमरे की खिड़की से आती चाँदनी भी हृदय को ठंडक देने से इंकार कर देती है। जब अरस्तू का कथारिसिस और पंत के पहले कवि का वियोग यथार्थ लगता है। इस काव्य संग्रह में उन कालजयी मुद्दों को जगह मिली है जो हमारे जीवन की दशा-दिशा निर्धारित करते हैं जैसे प्रेम, दर्शन और राजनीति।