Last modified on 25 जून 2019, at 17:48

वो खारो समन्दर / नीलम पारीक

वो खारो समन्दर
अपने खारेपण ने
थामे अपने कण्ठ में
शिव ज्यूँ
बेली बादळ रे हाथ
पुगावे भैण धरा रे
टाबरियां ने
इमरत जेड़ो मीठो पाणी
धन रे समन्दर तूँ