दर्द आँखों से जब बयाँ हो गया
ग़म से वाकिफ़ मेरे जहाँ हो गया
वो ज़ुबाँ से तो कुछ नहीं बोले
उनके चेहरे से सब अयाँ हो गया
अश्क़ आँखों में इस क़दर ठहरे
दूर नज़रों से हर निशाँ हो गया
तोड़ डाला मेरा यकीं , उसको
जाने किस बात का गुमाँ हो गया
ये पता भी चला बिछड़ने पर
जाने कब से वो मेरी जाँ हो गया
इश्क़ की ये भी एक मंज़िल है
जिसने पाई वो बेज़ुबाँ हो गया
दिल भी 'आनन्द' ये बिना तेरे
बंद खाली पड़ा मकां हो गया