अेक दिन
इण अचेत नींद सूं ओझक परौ
चांणचक जागूंला
अर अेक दीवौ जुपाय
भाखर री जड़ां में धर आवूंला
जठा सूं रळक परी जलमै नी
जिकी जमीं रौ खार
धोय-धाय
समदर नै सूंप आवै
अेक दिन
म्हैं म्हारै घर नै सैमूदौ
ताजिया री बारी नीचैकर काढणी चावूं
म्हारौ घर बाळक नीं तौ कांई व्हियौ
निजर तौ उणरै ई लाग सकै
पछै धकलै बरस इळा नै काढण री सोचूंला
आं दिनां म्हारी आतमा
धरम सूं बेसी टोटकां माथै भरोसौ करै
इतियास सूं ओक्या बैठगी
संस्क्रति रा भूतिया बिखेरै है बजार जैड़ी केई चीजां
कळा उछबां रै खाडै थरकीजगी
ओळूं रौ सरणौ अखै
अेक दिन
ओळूं री जड़ां
परापरी में धंस परौ अटकळूंला
वौ दिन उडीक
म्हारी रचना
उडीक!