किसी तरह दिन तो काट लिया करता हूँ
पर, मौन व्यथा-बोझिल रात नहीं कटती,
मन को सौ-सौ बातों से बहलाता हूँ
पर, पल भूल तुम्हारी मूर्ति नहीं हटती !
किसी तरह दिन तो काट लिया करता हूँ
पर, मौन व्यथा-बोझिल रात नहीं कटती,
मन को सौ-सौ बातों से बहलाता हूँ
पर, पल भूल तुम्हारी मूर्ति नहीं हटती !