मैंने तुम्हारा विश्वास किया था, जो कुछ भी था मेरा सब दिया था,
जो कुछ भी अर्जन-उपार्जन !
अब देखो ना भिखारी की तरह कैसे बैठी रहती हूँ !
कोई पीछे मुड़कर नहीं देखता ।
तुम्हारे पास देखने का समय क्यों होगा ! कितने तरह के काम हैं तुम्हारे पास !
आजकल तो व्यस्तता भी बढ़ गई है बहुत ।
उस दिन मैंने देखा वह प्यार
न जाने किसे देने में बहुत व्यस्त थे तुम,
जो तुम्हें मैंने दिया था ।
मूल बांगला से अनुवाद : सुलोचना