व्याकुल तो हूँ, कैसे उनको पाऊँ,
पर, अगर अचानक दर्शन हो जाएँ,
वे चीन्ह सकेंगे क्या? मैं ही कैसे
सम्मुख कह पाऊँगा? स्वागत! आएँ!
व्याकुल तो हूँ, कैसे उनको पाऊँ,
पर, अगर अचानक दर्शन हो जाएँ,
वे चीन्ह सकेंगे क्या? मैं ही कैसे
सम्मुख कह पाऊँगा? स्वागत! आएँ!