वार्तिक
अथवा, जो मेरा नाम लेकर के शिकायत का किताब छपवाकर बिक्री करते हैं, उन लोगों को मन में मोह हुआ है। वे लोग समझते हैं कि भिखारी ठाकुर वगैर पढ़े-लिखे दरवार से मान-मर्यादा पाते हैं।
चौपाई
उँच निवासु नीच करतूती, देखी न सकहिं पराई विभूति।
रा।च।मा। अयो।का। 11 / 7
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जिन्ह कृत महा मोह पद पाना, तिन कर कहा करिये नहिंकाना।
रा।च।मा।, बालकांड
दोहा
सूष हाड़ लै भाग सठ, स्वान निरषि मृगराज।
छीनी लेई जनि जान जड़, तिमि सुरपतिहि न लाज॥
रा।च।मा।, बा।का। 125