वार्तिक:
चाहे उन लोगों ने मोह में पड़कर रेकार और अवगुण बताते हैं, जब शिवजी ब्रह्मा जी को मोह हुआ है। उन लोगों को मोह होना कौन-सी मुश्किल है।
दोहा
शिव बिरंचि कँह मोहई; को है बपुरा आन, असजिय जाति भजहिं मुनि, मायापति भगवान।
वार्तिक:
कोई-कोई तो मेरा बनाया हुआ किताब कुछ-कुछ दो-चार चीज इधर-उधर से मिला करके अपना नाम देकर के किताब छपवा कर बिक्री करते हैं। उन लोगों की हालत है जैसे-
चक्र वाक मन दुःख निशि पेखी। जिमि दुर्जन पर सम्पत्ति देखी॥