क्रान्ति है आवत्र्त, होगी भूल उस को मानना धारा :
उपप्लव निज में नहीं उद्दिष्ट हो सकता हमारा।
जो नहीं उपयोज्य, वह गति शक्ति का उत्पाद भर है :
स्वर्ग की हो-माँगती भागीरथी भी है किनारा।
इलाहाबाद, 13 नवम्बर, 1946
क्रान्ति है आवत्र्त, होगी भूल उस को मानना धारा :
उपप्लव निज में नहीं उद्दिष्ट हो सकता हमारा।
जो नहीं उपयोज्य, वह गति शक्ति का उत्पाद भर है :
स्वर्ग की हो-माँगती भागीरथी भी है किनारा।
इलाहाबाद, 13 नवम्बर, 1946