Last modified on 8 सितम्बर 2010, at 16:42

शब्दों का गुलमोहर / गोबिन्द प्रसाद


काल ने
लिख दिया मुझे
शब्दों के मानिन्द
मेरे युग के चेहरे पर

चाहता हूँ फ़क़त :
शब्दों का सुलगता गुलमोहर
बतौर वसीयत
अगले युग को सौंपा जाए