Last modified on 2 अप्रैल 2014, at 15:45

शब्दों की चित्रकारी / निज़ार क़ब्बानी

बीस साल बीत गए प्यार की राह पर मगर
अभी भी इस रास्ते का कोई नक़्शा नहीं है ।
कभी-कभी मैं हुआ विजेता ।
अधिकतर रहा पराजित ।
बीस साल, ऐ प्रेम की पोथी !
और अभी भी पहले पन्ने पर हूँ ।