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शब्दों की नइया / कमलेश द्विवेदी

दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।
लोग हमें कवि-शायर कहते हम हैं नाव-खेवइया।

शब्दों की इन नौकाओं पर
करते अर्थ सवारी।
अर्थों के सँग भावों की भी
रहती दुनिया न्यारी।
भाव हँसायें भाव रुलायें करवायें ता-थइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।

शब्दों वाली ये नौकायें
करतब ख़ूब दिखायें।
ये इठलायें ये बलखायें
ये डूबें-उतरायें।
अद्भुत करतब देख बजायें ताली सभी देखइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।

ना ही ये अपनी नौकायें
ना अपना कौशल है।
जिसकी हैं नौकायें सारी
उसका ही सम्बल है।
उसको श्रद्धा और भक्ति से कहें सरस्वती मइया।
दिल के दरिया में तैरायें हम शब्दों की नइया।