युद्ध में
मानव की
लगातार हार के बाद भी
शेष हैं
शब्द
दिपते
सूरज की तरह
सहयोगार्थ
प्रीत की रीत
फ़ैलाने !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
युद्ध में
मानव की
लगातार हार के बाद भी
शेष हैं
शब्द
दिपते
सूरज की तरह
सहयोगार्थ
प्रीत की रीत
फ़ैलाने !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"