मेरे शब्द जब गेहूँ थे
मैं था धरती ।
मेरे शब्द जब रोष थे
मैं था तूफ़ान ।
मेरे शब्द जब चट्टान थे
मैं था नदी ।
जब मेरे शब्द बन गए शहद
मक्खियों ने मेरे होंठ ढँक लिए ।
मेरे शब्द जब गेहूँ थे
मैं था धरती ।
मेरे शब्द जब रोष थे
मैं था तूफ़ान ।
मेरे शब्द जब चट्टान थे
मैं था नदी ।
जब मेरे शब्द बन गए शहद
मक्खियों ने मेरे होंठ ढँक लिए ।