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शब्द / रामदरश मिश्र

कल उसके पास
दूर देश से एक विदेशी पाठक आया
उसकी बातचीत से लगा कि
वह उसके सृजन से गहरे गुज़रा है
उसके शब्द-शब्द से संवाद किया है
तब उसे लगा कि
शब्द कितनी दूर तक अपनी गूँज छोड़ते हैं
शब्द सच्चे हैं तो ज़िन्दा रहेंगे ही
आज आस-पास के बहरे बने
या अपनी ही बजबजाहट में डूबे लोग
भले ही उन्हें न सुनें
वे कल सुनाई पड़ेंगे दूर तक
और आकाश उन्हें अपने में भर कर
गौरवान्वित अनुभव करेगा।
-12.9.2014