हाँ, शरद आया
ऊपर खुली नीली झील-
तिरते बादलों के पाल।
हरे हरसिंगार।
तिनकों से ढले दो-चार
ओस-आँसू-कन।
खिली उजली धूप
नीचे सिहर आया ताल।
शरद तो आया :
मदिर आलोक फल लाया :
नहीं पर इस बार
दीखे हृदय-रंजन
युगल खंजन!
हाँ, शरद आया
ऊपर खुली नीली झील-
तिरते बादलों के पाल।
हरे हरसिंगार।
तिनकों से ढले दो-चार
ओस-आँसू-कन।
खिली उजली धूप
नीचे सिहर आया ताल।
शरद तो आया :
मदिर आलोक फल लाया :
नहीं पर इस बार
दीखे हृदय-रंजन
युगल खंजन!