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शर्त / राजेश शर्मा ‘बेक़दरा’

यह देह,
साक्षी है,
त्याग क़ी,
इंतज़ार क़ी...

तुम पढ़ना,
ज़रूर पढ़ना,
पढ़ पाओ तो,
पढ़ ही लोगे,
यदि प्रेम है...