नीचे सिर ..पीठ ऊपर... सामने है - जल समाधि लिए साधु शव... वैसी ही बँधी धोती पानी में चलते पैर । उसकी साधना से ठहर गया है -- आस-पास का जल । क्या गुनता रहता है -- बिना आशा बिना भय । किसी दिन में नहीं रहूँगा -- तो जीवित हो जाएगा..... शव ।