टी० वी०, रेडियो, अख़बार
एक बूढ़े शेर की
मनुहार !
चन्द शब्दों का धुँधलका
रेत में संदेह जल का
शहद में घी
करेगा स्वीकार ?
आदमी का बैल होना
ज़िन्दगी भर बोझ ढोना
हड्डियों पर
रात-दिन की मार !
टी० वी०, रेडियो, अख़बार
एक बूढ़े शेर की
मनुहार !
चन्द शब्दों का धुँधलका
रेत में संदेह जल का
शहद में घी
करेगा स्वीकार ?
आदमी का बैल होना
ज़िन्दगी भर बोझ ढोना
हड्डियों पर
रात-दिन की मार !