Last modified on 24 जून 2009, at 22:15

शहर-1 / मंगलेश डबराल

मैंने शहर को देखा और मैं मुस्कराया

वहाँ कोई कैसे रह सकता है

यह जानने मैं गया

और वापस न आया ।


(रचनाकाल :1974)