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शहर के लोग / प्रभात त्रिपाठी

इस शहर के लोगों को
एक ही कष्ट है यारो!
कि यह शहर
सिरे से भ्रष्ट है यारो!

लोग यह बात
इस तरह कहते हैं
जैसे यहाँ नहीं,
कही और रहते हैं।