Last modified on 12 मई 2020, at 23:09

शहर में आदिवासी / नीरज नीर

देख कर साँप,
आदमी बोला,
बाप रे बाप!
अब तो शहर में भी
आ गए साँप।
साँप सकपकाया,
फिर अड़ा
और तन कर हो गया खड़ा।
फन फैलाकर
ली आदमी की माप।
आदमी अंदर तक
गया काँप।
आँखेँ मिलाकर बोला साँप:
मैं शहर में नहीं आया
जंगल में आ गयें हैं आप।
आप जहाँ खड़े हैं
वहाँ था
मोटा बरगद का पेड़।
उसके कोटर में रहता था
मेरा बाप।
आपका शहर जंगल को खा गया।
आपको लगता है
साँप शहर में आ गया।