(किसान रैलियों के संदर्भ में)
गेहूँ और गन्नेम के भाव-ताव को लेकर
वह साल में एक-आध बार
आता है शहर
शहर में वह
पहले दिन जुलूस में
और दूसरे दिन अखबार में होता है
शहर की दीवारों पर
इश्तकहार-सा चिपकाकर अपना चेहरा
वह गाँव लौट जाता है
तीसरे-चौथे दिन।