भगत-आज़ाद- उधम का जो फिर अवतार हो जाए
तो बेशक ज़ालिमों का अन्त अबकी बार हो जाए
गए गोरे, मगर अँग्रेज़ काले जड़ जमा बैठे
कोई तदबीर हो, इनका भी बण्टाधार हो जाए
जो रोटी और इज़्ज़त चाहते, क्यों क़त्ल होते हैं
ये कैसा रोग है, इसका सही उपचार हो जाए
हमें इस ज़ुल्म की बुनियाद से ऐसे निबटना है
कि अगला हर क़दम उस पे करारा वार हो जाए
फँसी तूफ़ान में किश्ती हमारे देश भारत की
जवानो ! बल लगाओ तुम तो बेड़ा पार हो जाए
रचनाकाल : 14.08.1986