धन्य-धन्य छै ई धरती हमरोॅ
जहाँ वीर अवतार लेनें छेलै।
गुलामी रोॅ जंजीर काटै लेॅ
आपनोॅ जीवन गमैनें छेलै।
रास्तां में छेलै वाधा ही वाधा
रोड़ा ढेरी सीनी छेलै।
आरोॅ हुनकोॅ साहस ही
एक सहारा छेलै।
रेत-रेत रौंदा परचंड
निर्मम कालोॅ रं जी काढ़ै छेलै ठण्ड।
शूलोॅ के फूल मानी केॅ
वें वीरें चली देनें छेलै
साथों में बेटा-बेटी आरोॅ पत्नी भी छेलै।
जेकरोॅ समझने छेलै वें धूल-समान।
चाह सुखोॅ रोॅ तनियो नै छेलै
ओकरा लेॅ महल अटारी सब छेलै कुरवान।
देश आन पर आपनोॅ प्राण गमैनें छेलै।
हुनका दिलोॅ में सभ्भै लेॅ छेलै प्यार।
बोली में छेलै ओज, धैर्य, साहस रोॅ भण्डार।
दिलोॅ में छेलै वस एक्के अरमान
देशोॅ लेली दौं आपनोॅ प्राण निसार।
हांसी-हांसी माय केॅ निहारनें छेलै।
दिक-दिगन्त सिंह जेना दहाड़नें छेलै
भारत केॅ जन-जन रोॅ फरू पुकार सुनने छेलै।
मोह माया केॅ ठोकर मारी, आपनोॅ परान गमैने छेलै।
धनय वीर ऊ धन्य शहीद छेलै।