शादी बरबादी के पोल तनि खोल,
बोल मटकोड़वा के ढोल तनि बोल।
बेटा भइल त नगाड़ा बजल
बेटी भइल त उदासी मनल
भेद भाव देख के धरती गइल डोल
बोल मटकोड़वा के....
बेटा जवान भइल तिलक बढ़ल,
बेटी जवान भइल आफत बढ़ल,
मिलल ना दहेज देले दुलहिन के झोल।
बोल मटकोड़वा के....
कन्या के गोड़ धोके पहिले पियत रहे
बेटी आउ पुतोह में ना भेद रखत रहे,
वर के व्यापार मे अब होखे मोल-तोल।
बोल मटकोड़वा के....
जितना बेसी तिलक ले ऊ ओतना बड़ा बा
गिरत बा समाज एकर फिकिर केकरा बा
पढ़ल-लिखल वर बाबू बनल बकलोल।
बोल मटकोड़वा के....
तिलक आउ दहेज सभे मिलके हटाव
बढ़का कलंक बा एह के जल्दी मिटाव
कन्या त लक्ष्मी हई धन अनमोल।
बोल मटकोड़वा के....