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शान्ति दो / रघुवीर सहाय

शान्ति दो, शान्ति दो
चाहे वह कान्ति कि बहन ही क्यों न हो
और वह नहीं दो तो कान्ति ही दो
फिर चाहे शान्ति भी दे देना

पर तब दया करके वह नहीं
जो कान्ति की बहन है ।