शाम की धूप / मनीषा जैन

शाम की धूप
जा रही थी घर
क्ह रही थी
दरख़्तों से अलविदा

शाम की धूप
बच्चों से करती है
वायदा
कल फिर आने का

बच्चे रजाई में
दुबक कर
धूप का इंतजार करते हैं
धूप के आते ही
लाल सलाम करते हैं

चिड़िया भी आंख में
भर कर धूप
स्ंजोती है सपना
फिर नई सुबह का।

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