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शाम से रास्ता तकता होगा / बशीर बद्र

शाम से रास्ता तकता होगा
चांद खिड़की में अकेला होगा

धूप की शाख़ पे तनहा-तनहा
वह मुहब्बत का परिंदा होगा

नींद में डूबी महकती सांसें
ख़्वाब में फूल-सा चेहरा होगा